नम्रता
जीवन के इस काल में
समय की तेज़ चाल में
कार्य सभी को निभाने हैं अनेक
रास्ते अलग मगर लक्ष्य है एक ।
इस तेज़ सी रफ़्तार में
समय की बहती धार में
दौड़ता चला जा रहा है इन्सान
चेहरे पैर हैं तनाव के निशान ।
हँसना हंसाना मुश्किल हो चला है
हर कोई सोचता अपना भला है
दो बोल प्यार या दुलार के
बुलाता नहीं कोई इसे पुकारके ।
राह में हम जो मुस्कुराते चलेंगे
तो काटों के बीच फूल खिलेंगे।
नम्रता से हम जो पेश आयेंगे
तो निराश से आगे बढ़ पाएँगे
इंसान ही इन्सान की परवाह जब कर सकेंगे
संसार में संसार की तरह मिल के रह सकेंगे ।
Monday, May 11, 2009
शुभ लखवारा कक्षा सात 'अ'
कंप्यूटर
चार्ल्स बैबेज़ के
दिमाग तुम्हारा कमाल
कंप्यूटर तुम्हारा नाम
प्रश्न सुलझाना तुम्हारा काम।
जोड़, घटाना, गुणा, भाग
या इनका कोई मेल
झटपट करते हल इनको
सब बाएं हाथ का खेल ।
समय गवांते वो बच्चे
जो खेले तुम से खेले
समय बचाते वो बच्चे
जो तेरा उचित प्रयोग करे।
चार्ल्स बैबेज़ के
दिमाग तुम्हारा कमाल
कंप्यूटर तुम्हारा नाम
प्रश्न सुलझाना तुम्हारा काम।
जोड़, घटाना, गुणा, भाग
या इनका कोई मेल
झटपट करते हल इनको
सब बाएं हाथ का खेल ।
समय गवांते वो बच्चे
जो खेले तुम से खेले
समय बचाते वो बच्चे
जो तेरा उचित प्रयोग करे।
हिमांगी तिवारी कक्षा आठ 'स'
मैं सबसे छोटी होऊं
मैं सबसे छोटी होऊं
तेरी गोद में सोऊँ
तेरा आँचल पकड़कर
फ़िर सदा माँ तेरे साथ
कभी न छोडूँ तेरा हाथ।
बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे चलती है मात
हाथ पकड़कर फ़िर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन रात ।
अपने कर से खिला, धुला मुख
धूल पोंछ सज्जित केर मात
थमा खिलोने नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात।
ऐसी बड़ी न होऊं मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं
तेरे आँचल की छाया में
छिपी रहूँ गोद निर्भय
कहूँ दिखा दे चंद्रोदय ।
मैं सबसे छोटी होऊं
तेरी गोद में सोऊँ
तेरा आँचल पकड़कर
फ़िर सदा माँ तेरे साथ
कभी न छोडूँ तेरा हाथ।
बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे चलती है मात
हाथ पकड़कर फ़िर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन रात ।
अपने कर से खिला, धुला मुख
धूल पोंछ सज्जित केर मात
थमा खिलोने नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात।
ऐसी बड़ी न होऊं मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं
तेरे आँचल की छाया में
छिपी रहूँ गोद निर्भय
कहूँ दिखा दे चंद्रोदय ।
क्षितिज नीखरा कक्षा तीन 'स'
जीवन एक गूंज है
एक छोटा बच्चा अपनी माँ से नाराज़ होकर चिल्लाने लगा, "मैं तुमसे नफरत करता हूँ। मैं तुमसे नफरत करता हूँ। " पिटने के डर से वह घर से भाग गया और पहाड़ियों के पास जाकर चीखने लगा । ' मैं तुमसे नफरत करता हूँ । मैं तुमसे नफरत करता हूँ ' और वही आवाज़ गूंजी , "मैं तुमसे नफरत करता हूँ "। यह ज़िन्दगी में पहली बार था जब उसने कोई गूंज सुनी थी । वह डरकर अपनी माँ के पास गया और बोला - "घाटी में एक गन्दा बच्चा है जो चिल्लाता है, मैं तुमसे नफरत करता हूँ" । उसकी माँ सारी बात समझ गई और उसने अपने बेटे से कहा कि वह पहाड़ी पर जाकर फ़िर चिल्लाकर कहे - मैं तुम्हें प्यार करता हूँ । बच्चा गया और चिल्लाया - " मैं तुम्हें प्यार करता हूँ । " वही आवाज़ गूंज गयी । इस घटना से बच्चे को सीख मिली ।
हमारा जीवन एक गूंज की तरह है -हम जो देते हैं वही हमें वापस मिलता है ।
बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा है - जब आप दूसरों के लिए अच्छे बन जाते हैं तो ख़ुद के लिए और भी बेहतर बन जाते हैं ।
एक छोटा बच्चा अपनी माँ से नाराज़ होकर चिल्लाने लगा, "मैं तुमसे नफरत करता हूँ। मैं तुमसे नफरत करता हूँ। " पिटने के डर से वह घर से भाग गया और पहाड़ियों के पास जाकर चीखने लगा । ' मैं तुमसे नफरत करता हूँ । मैं तुमसे नफरत करता हूँ ' और वही आवाज़ गूंजी , "मैं तुमसे नफरत करता हूँ "। यह ज़िन्दगी में पहली बार था जब उसने कोई गूंज सुनी थी । वह डरकर अपनी माँ के पास गया और बोला - "घाटी में एक गन्दा बच्चा है जो चिल्लाता है, मैं तुमसे नफरत करता हूँ" । उसकी माँ सारी बात समझ गई और उसने अपने बेटे से कहा कि वह पहाड़ी पर जाकर फ़िर चिल्लाकर कहे - मैं तुम्हें प्यार करता हूँ । बच्चा गया और चिल्लाया - " मैं तुम्हें प्यार करता हूँ । " वही आवाज़ गूंज गयी । इस घटना से बच्चे को सीख मिली ।
हमारा जीवन एक गूंज की तरह है -हम जो देते हैं वही हमें वापस मिलता है ।
बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा है - जब आप दूसरों के लिए अच्छे बन जाते हैं तो ख़ुद के लिए और भी बेहतर बन जाते हैं ।
सनम लखवारा कक्षा दस 'अ'
प्रेरक बिन्दु
पीने के लिए कोई चीज़ है तो - क्रोध
लेने के लिए कोई चीज़ है तो - ज्ञान
देने के लिए कोई चीज़ है तो - दान
कहने के लिए कोई चीज़ है तो - सत्य
दिखाने के लिए कोई चीज़ है तो - दया
छोड़ने के लिए कोई चीज़ है तो - अंहकार
त्यागने के लिए कोई चीज़ है तो - ईर्ष्या
संग्रह के लिए कोई चीज़ है तो - विद्या
रखने के लिए कोई चीज़ है तो - मान
धारण करने के लिए कोई चीज़ है तो - संतोष ।
पीने के लिए कोई चीज़ है तो - क्रोध
लेने के लिए कोई चीज़ है तो - ज्ञान
देने के लिए कोई चीज़ है तो - दान
कहने के लिए कोई चीज़ है तो - सत्य
दिखाने के लिए कोई चीज़ है तो - दया
छोड़ने के लिए कोई चीज़ है तो - अंहकार
त्यागने के लिए कोई चीज़ है तो - ईर्ष्या
संग्रह के लिए कोई चीज़ है तो - विद्या
रखने के लिए कोई चीज़ है तो - मान
धारण करने के लिए कोई चीज़ है तो - संतोष ।
ध्वनि कापता कक्षा आठ 'ब'
भारत
हम भारत के भरत खेलते
शेरों की संतान से ,
कोई देश नहीं दुनिया में
बढ़कर हिंदुस्तान से ।
इस मिटटी में पैदा होना
बड़े गर्व की बात है ,
साहस और वीरता अपने
पुरखों की सौगात है।
बड़ी- बड़ी ज्वाला से
कम नहीं चिंगारियां,
कांटे पहले फूल बाद में
देती हैं फुलवारियां ।
कभी दहकते कभी महकते
जीते मरते शान से ,
कोई देश नहीं दुनिया में
बढ़कर हिन्दुस्तान से।
हम भारत के भरत खेलते
शेरों की संतान से ,
कोई देश नहीं दुनिया में
बढ़कर हिंदुस्तान से ।
इस मिटटी में पैदा होना
बड़े गर्व की बात है ,
साहस और वीरता अपने
पुरखों की सौगात है।
बड़ी- बड़ी ज्वाला से
कम नहीं चिंगारियां,
कांटे पहले फूल बाद में
देती हैं फुलवारियां ।
कभी दहकते कभी महकते
जीते मरते शान से ,
कोई देश नहीं दुनिया में
बढ़कर हिन्दुस्तान से।
अमृता कक्षा सात 'ब'
"खुशहाली भरा सावन"
काले घन घेर रहे हैं सूरज दादा आपको
टप-टप बूंदों के गिरने की ज़रा आवाज़ सुनो
डरा रही है, गड़-गड़ बिजली की आवाज़ लो
खुशी से मोर नाच रहे हैं ज़रा देखो ।
किसानो , सुनो हरियाली फैल रही यहाँ तो
छोटी-छोटी नावों को जाते हुए देखो,
सात सुंदर रंगों को आसमान में देखो,
इंतज़ार रहेगा सावन के महीने का हम सबको।
काले घन घेर रहे हैं सूरज दादा आपको
टप-टप बूंदों के गिरने की ज़रा आवाज़ सुनो
डरा रही है, गड़-गड़ बिजली की आवाज़ लो
खुशी से मोर नाच रहे हैं ज़रा देखो ।
किसानो , सुनो हरियाली फैल रही यहाँ तो
छोटी-छोटी नावों को जाते हुए देखो,
सात सुंदर रंगों को आसमान में देखो,
इंतज़ार रहेगा सावन के महीने का हम सबको।
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